विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद भिवंडी मनपा प्रशासन का फैसला, हैदराबादी ठेका कंपनी अगले 5 सालों तक करेगी भिवंडी के आवारा कुत्तों की नसबंदी, मनपा खर्चेगी प्रति कुत्ता लगभग डेढ़ हजार रूपए


केडीके न्यूज़ नेटवर्क     

भिवंडी मनपा क्षेत्र में कुत्तों का निर्बीजीकरण वर्षों से बंद होने के कारण समूचे शहरी इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ने सहित कुत्ते के काटने की घटनाओं में वृद्धि को रोकने के लिए भिवंडी निज़ामपुर शहर मनपा ने निविदा द्वारा हैदराबाद की मे. वेट्स सोसाइटी फॉर एनिमल वेलफेयर एंड रूरल डेवलपमेंट, सफिलगुडा नामक ठेका कंपनी को रेबीज टीकाकरण, आवारा कुत्तों की नसबंदी और घायल कुत्तों को पकड़कर उनका इलाज करने का काम सौंपा गया है। जो अगले पांच वर्षों तक लगभग 13 हजार 631 आवारा एवं घायल कुत्तों का प्रति कुत्ता 1490/- रुपये की लागत से टीकाकरण एवं नसबंदी करने का कार्य करेगी। यह नसबंदी केंद्र मनपा के ईदगाह स्लॉटर हाउस स्थित एसटीपी प्लांट के पीछे की ओर शुरू किया गया है। मनपा प्रशासक एवं आयुक्त अजय वैद्य के मुताबिक़ इस नसबंदी केन्द्र से शहर में आवारा एवं घायल कुत्तों की संख्या नियंत्रित होगी। जिसका लाभ सभी भिवंडीवासियों को मिलेगा।​

        ​मनपा के प्रभारी जनसंपर्क अधिकारी ​द्वारा जारी प्रेस बयान के मुताबिक़ 28​ ​नवंबर गुरूवार को ​भिवंडी मनपा के प्रशासक एवं आयुक्त ​अजय वैद्य द्वारा उक्त ​केंद्रों का उद्घाटन​​किया गया। इस अवसर पर ​मनपा के अतिरिक्त आयुक्त​ विठ्ठल डाके, मुख्य लेखा वित्त अधिकारी आरएम सालुंके, उपायुक्त (स्वास्थ्य) शैलेश ​दोंदे, सहायक संचालक शहरी नियोजन अजय कांबले, ​नियंत्रण अधिकारी (पर्यावरण) सुदाम जाधव, सहायक आयुक्त (स्वास्थ्य) नितिन पाटिल, चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी ​डा. बुशरा सैयद, मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी ​डा. संदीप गाडेकर, ​प्रभारी सहायक आयुक्त (​प्रभाग समिति क्रमांक 4)​, सुनील भोईर​ ​प्र. सहायक आयुक्त (लाइसेंस)​, प्रकाश राठौड़ पर्यावरण विभाग​ ​प्रमुख अनिल ​आव्हाड और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख जयवंत सोनवणे ​आदि उपस्थित​ रहे।

        उल्लेखनीय है कि शहर में बढ़ते कुत्तों के कुत्तागिरी और आतंक से वाहन चालक व निवासी परेशान हो गये हैं। रात के समय जगह-जगह जमा कुत्तों का झुण्ड अकेले जा रहे लोगों व वाहन चालकों को देखकर भौंकते हुए दौड़ा लेते हैं। जिससे डरकर भागने के चक्कर में अक्सर दो पहिया वाहन चालक गिरकर अपना हाथ-पैर तुड़वा बैठते हैं। स्कूल जाते समय बच्चो को भी ये अक्सर अपना निशाना बनाते रहते हैं। कुत्तों की बढ़ती तादाद को देखकर लगता है कि दूसरी जगहों से भी लाकर आवारा कुत्तों को यहां छोड़ दिया जाता है अथवा ग्रामीण इलाके के कुत्तों को भी अब शहर रास आने लगा था।


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