केडीके न्यूज़ नेटवर्क
हफ्ते भर पहले सपा के रईस शेख का सर्वथा सेफ माने जाने वाला भिवंडी पूर्व विधानसभा क्षेत्र राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे के धन बल और तंत्र बल झोंकने के कारण अब कांटे के मुकाबले में तब्दील हो गया है। क्योंकि इस सीट को जीतने के लिए स्वयं शिंदे ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जिसके तहत यहां से दो बार शिवसेना के विधायक रह चुके रूपेश म्हात्रे को येन-केन-प्रकरेण बिठा दिया गया। जो मविआ गठबंधन के तहत सपा के खाते में सीट जाने के कारण बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी समर में कूद पड़े थे। जिनका हिंदू मतों के ध्रुवीकरण रोकने के लिए नामांकन वापस कराया गया है और अब वह शिवसेना (शिंदे) के साथ होकर उसके पक्ष में काम कर रहे हैं।
मालूम हो कि भिवंडी पूर्व में लगभग 3 लाख 70 हजार 45 मतदाता हैं। जिसमें लगभग 53 फ़ीसदी यानी 1 लाख 96 हजार मुस्लिम और 1 लाख 74 हजार यानी 47 फ़ीसदी हिंदू मतदाता बताए जाते हैं। भिवंडी पूर्व विधानसभा में 2019 के लोकसभा चुनाव में 46.94 फ़ीसदी और 2019 के विधानसभा चुनाव में 47 फ़ीसदी तथा 2024 के लोकसभा चुनाव में 46.69 फीसदी मतदान हुआ था। इसलिए इस हिसाब से देखा जाए तो यदि इस बार के विधानसभा चुनाव 50 फ़ीसदी मतदान होता है तो 98 हजार मुस्लिम और 87 हजार हिंदू समुदाय का मतदान होगा। इसलिए यदि मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण नहीं हुआ तो पहली नजर में रईस शेख को यहां से दूसरी बार विधानसभा पहुंचने में कोई ख़ास दिक्कत नजर नहीं आ रही है। लेकिन चुनावी गणित इतना सीधा भी नहीं होता। जानकार बताते हैं कि जहां रईस शेख मुस्लिम मतों के अलावा 5-7 हजार हिंदू वोट भी हासिल कर सकते हैं तो यह सीट उनके लिए हलवा साबित हो सकती है। लेकिन उधर संतोष शेट्टी भी 10 हजार प्लस मुस्लिम वोट हासिल करने का दावा कर रहे हैं। फिर भी यदि शेट्टी के दावे में दम हो गया तो फिर चुनाव का फंसना तय है। लेकिन फिलहाल तो रईस शेख़ की जीत में कोई बड़ी बाधा दिखाई नहीं दे रही है।
उल्लेखनीय है कि भिवंडी पूर्व के चुनावी इतिहास को देखें तो भिवंडी पूर्व विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद अक्टूबर 2009 में हुए पहले चुनाव में सपा और शिवसेना के बीच हुई सीधी टक्कर में सपा के अबू आसिम आजमी ने 37,584 मत पाकर शिवसेना के योगेश पाटिल (24,599) के मुकाबले 12,985 मतों से हराया था। इसके बाद अबू आसिम ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया। जिसके कारण यहां 6 माह बाद 2010 में हुए उपचुनाव में शिवसेना ने योगेश पाटिल के बदले रूपेश म्हात्रे और सपा ने अबू आसिम आज़मी के बेटे फरहान आज़मी को अपना उम्मीदवार बनाया। जिसमें रूपेश महात्रे 35,376 मत पाकर सपा के फरहान आज़मी के 33,700 मतों के मुकाबले 1676 मतों से जीत हासिल की थी। इसके बाद 2014 के भी विधानसभा चुनाव में शिवसेना के रूपेश म्हात्रे को 33,541, भाजपा के संतोष शेट्टी को 30,148 और सपा के फरहान आज़मी को 17,541 मत मिले थे। इसमें म्हात्रे ने 3393 वोटो से भाजपा के संतोष शेट्टी को हराया था। फिर 2019 के विधानसभा चुनाव में सपा ने मुंबई से लाकर नगरसेवक रईस शेख को अपना उम्मीदवार बनाया। जिसमें रईस शेख को 45,537 और शिवसेना के रूपेश म्हात्रे को 44,223 मत मिले थे। इस तरह रईस शेख 1314 वोट से जीत गए। इस चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से लाकर संतोष शेट्टी को अपना उम्मीदवार बनाया था। जिसमें शेट्टी को 32,198 मत मिले थे।
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